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मोबाईल कितना उपयोगी और नुकसान दायक है

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मोबाईल कितना उपयोगी और नुकसान दायक है―आओ जाने ― 👇👇  नमस्ते दोस्तो  चलो आज  कुछ मोबाइल के बारे मे जाने मोबाइल हमारे लिए कितना सही है और कितना गलत है आज देखा जाए तो सारी दुनिया इस मोबाइल में लगी रहती हैं हम ये नही कहते कि मोबाइल गलत है पर उसका  उपयोग क्या सब लोग सही से कर रहे है। आज के दौर में मोबाइल फोन का हमारे जीवन में एक अहम भूमिका है। अमीर हो या गरीब  सभी मोबाइल से जुड़े हैं।अभी किसी के पास मोबाइल ना हो यह ढूंढ पाना बड़ा दुर्लभ हो। गया है इससे होने वाले लाभ और नुकसान से सभी परिचित हैं। पहले मोबाइल से होने वाले नुकसान को जान ले- नुकसान मोबाइल फोन की वजह से अब लोग घर में भी एक दूसरे से बात करने का समय नहीं निकाल पाते। खाली समय में फोन प्रयोग करने का चलन बढ़ चुका है।यहाँ तक कि आज की युवा पीढ़ी को फोन की लत आजकल के युवाओं को गलत रास्‍ते पर ले जा रही है वे दिन भर फेसबुक और चैटिंग में ही व्‍यस्‍त रहते हैं जो उनके भविष्‍य के लिए सही नहीं हैं।फोन में जहां ढेर सारे फीचर आ गए है वहीं हमारा इंटरनेट और कॉल का खर्च भी बढ़ गया है जो हमारे बजट पर एक्‍ट्रा भार डालता है। न जान...

पर्यावरण

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पर्यावरण:- आइए आज कुछ पर्यावरण के बारे मैं जाने जैसा कि हम सभी जानते है पहले हमारा पर्यावरण कितना दूषित था पर इस 3 महीने के लोकडॉन में पर्यावरण को कितने फायदे मिले हैं अगर जिस तरह महीनों में ये सब किये बिना इंसान जिंदा है तो फिर वापिस क्यो इन गन्दी आदतों को वापिस अपने जीवन में डाले जैसे कि शराब पीना, बीड़ी पीना, सिगरेट पीना, गुटखा खाना, और तम्बाकू खाना हुक्का ,गांजा,चरस, ना जाने कितनी गन्दी चीजे है इन चीजों का कितना आदि था इंसान अब देखो 3 महीनों में इसका उपयोग नही हुआ तो हमारा वातावरण कितना शुद्ध हुआ इन बुराइयों को तो हमेशा के लिए छोड़ देनी चाहिए   जैसे कि संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी कभी नशा नही करते और नही किसी को लाकर देते   सन्त रामपाल जी महाराज केअनुयायी रक्तदान, देहदान, नशामुक्ति और दहेजरहित विवाहों के कारण अक्सर चर्चा में रहते हैं, लेकिन पर्यावरण की ओर से उनका क्या योगदान है? वर्तमान में विश्व मे एकमात्र तत्वदर्शी सन्त की भूमिका निभा रहे सन्त रामपाल जी महाराज ने केवल शास्त्रों को खोलकर सही भक्तिमार्ग बताकर न केवल झूठी गुरुओं के छक्के छुड़ाए हैं, बल्कि लाखों लोग...

Guru ko bhgvan kyo mane

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गुरु को  भगवान क्यो माने  गुरु को भगवान क्यो मानना चाहिए :-   सतगुरू ही मनुष्य के संपूर्ण विकार को नाश करके सदाचारी बनाता है और सतभक्ति मार्ग बताकर मोक्ष धाम तक पहुँचाता है। इसलिए गुरु को गोबिन्द से भी बढा माना गया है।  कबीर साहेब  जी की वाणी है-  👉🏻 गुरु बडे गोबिन्द से मन में देख बिचार, हरि सुमरे सो वार है गुरु भजे हुवे पार।  गुरु ही हमे भगवान से मिला सकता हैं । वह गुरु ही है जो हमे जन्म- मरण के इस दीर्घ रोग से छुटकारा दिलवा सकता है ।   गुरु गोविंद दोनों खड़े किसके लागू पाव। बलिहारी गुरु आपने जो गोविंद दियो मिलाय।। पूर्ण गुरु से नाम उपदेश लेकर मर्यादा में रहते हुए आजीवन सतभक्ति करने से ही सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष मिलता है। आज इस दौर में पूर्ण गुरु सिर्फ सन्त रामपाल जी महाराज ही है जो हमे सतभक्ति देकर इस काल बन्धन से छुटकारा दिलवा सकते है । अधिक जानकारी के लिए देखे साधना TV शाम 7:30 से 8:30 तक  या पढे पुस्तक “ज्ञान गंगा" या “जीने की राह" फ्री डाउनलोड करने के लिए- बेबसाइट  www.jagtgururampaljimharaj.org मानव जन्म बड़ी मुश्किल से म...

प्राकृतिक आपदाएं

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प्राकृतिक आपदाएं एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम का परिणाम है जैसे ज्वालामुखी, विस्फोट, भूकम्प जो कि मानव की गतिविधियों को प्रभावित करता है मानव दुर्बलता उचित योजनाओं का आभाव ओर बढ़ा देता है जिसकी वजह से आर्थिक मानवीय ओर पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। हर दिन हजारों भूकम्प आते है लेकिन उनमें से अधिकांश मनुष्यों नोटिस करने के लिए बहुत छोटे होते है ओर सिस्टोमीटर के रूप में जाना जाता हैं जब वे पर्याप्त बड़े होते है तो भूकम्प पूरे शहरों को नष्ट कर सकते हैं सुनामी भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या महासागर के नीचे विस्फोट से हो सकती है। भूकंपीय लहरें सीबेड को झटका दे सकती हैं, जिससे समुद्र में भारी मात्रा में पानी विस्थापित होता है। इससे उपरिकेंद्र से बड़ी तरंगें फैलती हैं। गहरे पानी में, लहरें जल्दी से चलती हैं; जब वे उथले तटीय क्षेत्रों में पहुँचते हैं, तो वे धीमा हो जाते हैं लेकिन उनकी ऊँचाई बढ़ जाती है। जमीन पर पहुंचने पर ये लहरें भारी तबाही मचा सकती हैं।  अगर इन सब आपदाओं से बचा सकते है सिर्फ पूर्ण परमात्मा जो इस सृष्टि के रचन हार है वही एक पूर्ण परमात्मा है आज पूरे विश्व में पूर्ण परम...

Paryavarn-पर्यावरण

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पर्यावरण पर्यावरण:- आज हम पर्यावरण के बारे मैं कुछ सोचे ओर देखे तो आज की यही हकीकत है कि आज हमारा पर्यावरण कितना दूषित हो रहा है । इसके जिम्मेदार कौन है ? हम  सभी इसके जिम्मेदार हैं। पर्यावरण में वायु ,जल ,भूमि ,पेड़-पौधे , जीव-जन्तु ,मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं। अपने पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हमें सबसे पहले अपनी मुख्य जरूरत ‘जल’ को प्रदूषण से बचाना होगा। कारखानों का गंदा पानी, घरेलू, गंदा पानी, नालियों में प्रवाहित मल, सीवर लाइन का गंदा निष्कासित पानी  नदियों और समुद्र में गिरने से रोकना होगा। कारखानों के पानी में हानिकारक रासायनिक तत्व घुले रहते हैं जो नदियों के जल को खराब कर देते हैं, परिणामस्वरूप जलचरों के जीवन को संकट का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर हम देखते हैं कि उसी प्रदूषित पानी को सिंचाई के काम में लेते हैं जिसमें उपजाऊ भूमि भी विषैली हो जाती है। उसमें उगने वाली फसल व सब्जियां भी पौष्टिक तत्वों से रहित हो जाती हैं जिनके सेवन से  जीवननाशी रसायन मानव शरीर में पहुंच कर खून को विषैला बना देते हैं। कहने का तात्पर्य यही है ...

नास्तिकता ओर भगति

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भगति ओर नास्तिकता नास्तिकता:-आस्तिक का अर्थ है भगवान पर विश्वास करने वाला और नास्तिक का अर्थ है विश्वास नही करने वाला   नास्तिकता एक सकारात्मक  विश्वास नहीं है कि  कोई भगवान है नास्तिक इंसान को कभी भगति की बाते समझ में नही आती चाहे उसको कितना ही समझा लो   भगति:- भगति का मतलब भगवान को  मानना जो भगवान को नही मानता उसकी गिनती नास्तिकता में आती हैं आज पूरे विश्व मे कितने ही लोग है जो भगवान को नही मानते  ओर जो मानते हैं उनको भी नही पता कि कोनसे भगवान को मानने से हमारी मुक्ति होगी    हमारे वेद शास्त्र जिस पूर्ण परमात्मा की भगति। करने को कह रहा है अगर उस परमात्मा की भगति करने से हमारा मोक्ष हो सकता है  मनुष्य जन्म बार बार नही मिलता मनुष्य जन्म में ही भगवान प्राप्त हो सकता है पूर्ण परमात्मा को पाने के लिए साधना चेनल देखे शाम 7:30 से 8:30 तक सन्त रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन जरूर सुने   www.jgtgururampaljimharaj.org

गीता जी का ज्ञान किसने बोला?

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           गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? 🙏🙏  पवित्र गीता जी का ज्ञान किसने कहा  🙏🙏 पवित्र गीता जी के ज्ञान को उस समय बोला गया था जब महाभारत का युद्ध होने जा रहा था। अर्जुन ने युद्ध करने से इन्कार कर दिया था। युद्ध क्यों हो रहा था? इस युद्ध को धर्मयुद्ध की संज्ञा भी नहीं दी जा सकती क्योंकि दो परिवारों का सम्पत्ति वितरण का विषय था। कौरवों तथा पाण्डवों का सम्पत्ति बंटवारा नहीं हो रहा था। कौरवों ने पाण्डवों को आधा राज्य भी देने से मना कर दिया था। दोनों पक्षों का बीच-बचाव करने के लिए प्रभु श्री कृष्ण जी तीन बार शान्ति दूत बन कर गए। परन्तु दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी जिद्द पर अटल थे। श्री कृष्ण जी ने युद्ध से होने वाली हानि से भी परिचित कराते हुए कहा कि न जाने कितनी बहन विधवा होंगी ? न जाने कितने बच्चे अनाथ होंगे ? महापाप के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलेगा। युद्ध में न जाने कौन मरे, कौन बचे ? तीसरी बार जब श्री कृष्ण जी समझौता करवाने गए तो दोनों पक्षों ने अपने-अपने पक्ष वाले राजाओं की सेना सहित सूची पत्रा दिखाया तथा कहा कि इतने राजा हमारे पक्ष में हैं तथा...